The World Health Organization (WHO) determined that the outbreak of outbreak of Coronavirus (COVID-19) is a pandemic on 11 March 2020.
COVID-19 is a respiratory illness that can spread from person to person. A novel coronavirus called SARS-CoV-2 is the cause of COVID-19 and the outbreak first
recognized in China in December 2019.
COVID-19 is a disease caused by a new strain of coronavirus. ‘CO’ stands for corona, ‘VI’ for virus, and ‘D’ for disease. Formerly, this disease was referred to
as ‘2019 novel coronavirus’ or ‘2019-nCoV.’The COVID-19 virus is a new virus linked to the same family of viruses as Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS) and some types of common cold.
The clinical spectrum of COVID-19 ranges from mild disease with non-specific signs and symptoms of acute respiratory illness to severe pneumonia with
respiratory failure and septic shock. The fever course among patients with COVID-19 is not fully understood; it may be prolonged and intermittent. Sore throat has also been reported in some
patients early in the clinical course. Less commonly reported symptoms include sputum production, headache, hemoptysis, and diarrhea.
Based on what is currently known about SARS-CoV-2 and what is known about other coronaviruses, spread is thought to occur mostly from person-to-person via respiratory droplets among close contacts.
COVID-19 is a concern for college officials not only because of students, staff, faculty, and visitors traveling to and from COVID-19 affected areas, but also due to the potential for rapid transmission in a
congregate setting within campus environments. These guidelines provide recommendations for the students, the campus itself, and members of the campus community.
Make no mistake: we have a long way to go
World Health Organization warned that the coronavirus crisis would not end any time soon.This virus will be with us for a long time.COVID-19 had spread its deadly clutches across the world.
The pandemic has sparked not only a health emergency, but a global economic rout, with businesses struggling to survive, millions left jobless, and millions more facing starvation.
There must be a new normal. A world that is safer, healthier and better prepared.
Let's be more positive about things.
COVID-19 teach us about strengthening education systems?
- Technology has stepped into the breach, and will continue to play a key role in educating future generations.
- In a world where knowledge is a mouse-click away, the role of the educator must change too.
- A big concern is how the current crisis may lead to even greater gaps in student learning.
There are families that don’t have access to internet or devices at home and school systems that can’t provide that.
The majority of students in our educational institutions today are from a generation that has grown up in a truly globalized world.
But the current generation is likely to be reflecting on their education as a result of a truly global pandemic, with many facing cancelled exams, sporting events
and even graduation. This generation is defined by technology, where the terms FOBA (Fear of Being Alone) and FOMO (Fear of Missing Out) express their expectation
of instant communication and feedback – effected through apps like Instant Messenger, Snapchat and WhatsApp.
The COVID-19 crisis may well change our world and our global outlook; it may also teach us about how education needs to change to be able to better prepare our young learners for what
the future might hold.
COVID-19 teach us to Redefine the role of the educator
The notion of an educator as the knowledge-holder who imparts wisdom to their pupils is no longer fit for the purpose of a 21st-century education. With students being able to gain access
to knowledge, and even learn a technical skill, through a few clicks on their phones, tablets and computers, we will need to redefine the role of the educator in the classroom and lecture theatre.
The COVID-19 pandemic has resulted in educational institutions across the world being compelled to suddenly harness and utilize the suite of available technological tools to create content for remote learning for students in all sectors.
ऑफिस जाने वालों को इन बातों का रखना होगा ध्यान, कोरोना को दूर भगाने में होंगी सहायक
रीजनल कॉलेज ऑफ़ पॉलिटेक्निक एवं लोहिया कॉलेज के कर्मचारीगण विशेष रूप से ध्यान दें-
पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुजर रहा है।आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो वो कुछ देशों या राज्यों तक ही सीमित रहता है।लेकिन इस बार ये संकट ऐसा है जिसने विश्व भर में पूरी मानवजाति को संकट में डाल दिया है। जब प्रथम विश्व युद्ध एवम् द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था तब भी इतने देश युद्ध से प्रभावित नहीं हुए थे जितने आज कोरोना से हैं। वैश्विक महामारी कोरोना से निश्चिंत हो जाने की ये सोच सही नहीं है। इसलिए सजग रहना एवम् सतर्क रहना बहुत आवश्यक है।
इस तरह की वैश्विक महामारी में एक ही मंत्र काम करता है ᱺ‐ ॥ हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ ॥ । ऐसी स्थिति में जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है तो हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना बहुत आवश्यक है। इस बीमारी से बचने और खुद के स्वस्थ बने रहने के लिए अनिवार्य है संयम।
कोविड−19 जैसी महामारी को रोकने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक ही उपाय है−सोशल डिस्टेंसिंग । इसे सोशल डिस्टेंसिंग से रोका जा सकता है भीड़ से बचना एवम् घर से बाहर निकलने से बचना। आजकल जिसे सोशल डिस्टेंसिंग कहा जा रहा हैए कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में ये बहुत ज्यादा आवश्यक है।
ऐसा इसलिए किया गया है जिससे वे आने जाने में होने वाले संक्रमण के खतरे से बचे रहें।इसके लिए हमें खुद को भी बदलना होगा और दूसरों को भी जागरुक करना होगा।
ऑफिस में भी साफ-सफाई का ख्याल रखना जरूरी है। हर कर्मचारी की भी जिम्मेदारी की है कि वह अपने लैपटॉप और डेस्क के आसपास सफाई रखे, ताकि कोरोना वायरस जैसे खतरे को टाला जा सके। काम की शुरुआत करने से पहले अपने बैठने की जगह को अच्छी तरह साफ करें या करवाएं। जिन-जिन चीजों को बार-बार छूते हैं जैसे लैपटॉप, कीबोर्ड, मोबाइल, डेस्क, रिमोट कंट्रोल, काउंटर टॉप और
डोरनोब्स को साफ करवाएं। इन सभी चीजों को सेनिटाइजर या किसी अच्छे क्लीनिंग एजेंट से साफ करने के बाद ही काम शुरू करें। हर तीन घंटे में ऐसी साफ-सफाई जरूरी है।
वॉश रूम में साफ-सफाई का ख्याल रखें। सुनिश्चित करें कि बाथरूम और टॉयलेट की नियमित साफ-सफाई की जा रही है।
काम करने के दौरान जब भी उठें, हाथ जरूर साफ करें। हाथ साबुन से धोएं और पानी नहीं है तो सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें। कुछ भी खाने से पहले हाथ धोना बहुत जरूरी है। ऑफिस में मास्क पहनकर काम करें। कई कंपनियां अपनी तरफ से मास्क उपलब्ध करवा रही हैं। गीला होने पर मास्क तत्काल बदल दें। उपयोग किए जा चुके मास्क को दोबारा न लगाएं।
इसलिए जो भी कोई अपने काम के लिए घर से बाहर पैर निकालेगा उसको कुछ बातों का बेहद कड़ाई से पालन करना होगा। ये हैं वो खास बातें ᱺ‐
- घर से बाहर निकलने से पहले अपने मुंह को पूरी तरह से कवर करना न भूलें।
- आप अपने मुंह को घर के बने मास्क से भी कवर कर सकते हैं। इसके अलावा इसके लिए कोई भी चुन्नी या गमछा इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको बता दें कि पीएम मोदी ने कुछ दिन पहले जब देश को लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर संबोधित किया था तब उन्होंने अपने मुंह पर गमछा ही बांधा हुआ था।
- घर से बाहर निकलते समय अपने साथ साबुन या सेनेटाइजर ले जाना न भूलें।
- रास्ते में किसी भी तरह की रेलिंग दरवाजे को न छूएं और यदि छूना ही पड़े तो हाथों को जरूर धो लें।
- ध्यान रहे आपको कुछ-कुछ समय के अंतराल पर अपने हाथों को धोते रहना है। वो भी 20 सैकेंड तक लगातार।
- ऑफिस या रास्ते में भी दूसरे व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें। ऑफिस में अपना खाना अलग खाएं।
- यदि आपको जुकाम या खांसी है तो किसी भी सूरत में ऑफिस न जाएं। यदि आपको ऑफिस पहुंचने के बाद इस तरह की परेशानी लगती है तो मुंह को बाजू से कवर करके ही खांसें या छीकें। ध्यान रहे इस बात की जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले भी कई बार दे चुका है। ऐसा करने को इसलिए कहा गया है क्योंकि इन जगहों पर हाथों का लगना लगभग न के ही बराबर होता है। खांसते या छींकते वक्त जो भी कपड़ा आप इस्तेमाल कर रहे हैं उसका प्रयोग दोबारा न करें। हो सके तो उसको तुरंत धो भी लें।
- नोट लेने या देने के बाद हाथों को सैनिटाइज जरूर करें - दूसरों से नोट लेने या देने के बाद हाथों को अच्छी तरह धो लें। इस दौरान चेहरे को न छुएं।कागज के नोट पर हुए एक शोध में ये बात सामने आई है कि एक नोट में तकरीबन 26 हजार बैक्टीरिया होते हैं, जो इंसान के हाथों से शरीर में प्रवेश कर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
इसी की तर्ज पर ये अनुमान लगाया जा रहा है कि कोरोना वायरस भी कागज के नोट से तेजी से फैल सकता है।इसलिए कैश या सिक्के हाथ में लेने के बाद अपने चेहरे, मुंह, नाक, कान या आंख को ना छुएं। इसके बाद पहले उन्हें अपने हाथों को साबुन से धोना चाहिए। लिहाजा नोटों का इस्तेमाल करने के बाद हाथ जरूर धो लेना चाहिए।
- अपने हाथों को मुंह पर लगाने से बचें।
- फोन या दूसरी जरूरी चीजें जिनका आप ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनमें भी सफाई का विशेष ध्यान रखें ।
- खांसी या छींक आने के दौरान अपने मुंह को टिशू पेपर से कवर करें और उसे तुरंत किसी बंद डस्टबिन में फेंक दें ।
- खांसी आते वक्त अगर आपके पास टिशू पेपर या रूमाल नहीं है तो अपने हाथ की बाजू से मुंह ढकें ।
- खूब सारा पानी पिएं. लोगों से हाथ ना मिलाएं और किसी से बेवजह मिलने से बचें ।
- अगर आपको बुखार, कफ और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या है और आप पिछले 14 दिनों में इस वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति से मिले हों तो इसे नजरअंदाज ना करें. अपने डॉक्टर को तुरंत पूरी जानकारी दें ।
- घर वापस आने पर तुंरत किसी से न मिलें। पहले हाथों और मुंह को अच्छे से धोएं और उसके बाद ही किसी से मिलें। कोशिश करें कि एक कपड़ा एक ही दिन पहनें।
- ऑफिस जाने के लिए आप जिस भी वाहन का इस्तेमाल कर रहे हैं उसको भी साफ सुथरा रखें। यदि आप अपने साथ किसी दूसरे साथी को लिफ्ट दे रहे हैं तो भी उसे अपने बगल में न बिठाएं।
ये कुछ खास बातें हैं जिनका आपको ध्यान रखना है। भूले नहीं, सतर्कता फैलाएं, कोरोना नहीं।
यह वायरस सतह से फैलता है। इसलिए हाथ साबुन से धोते रहें। खासतौर पर कहीं बाहर से आएं तब अच्छे से हाथ धोए। संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर हर 20 मिनट में हाथ धोने की सलाह दे रहे हैं। इसके साथ ही अल्कोहलयुक्त हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। साथ ही फोन व टैबलेट और हैंडल जैसे ʼहाई-टचʼ सतहों को साफ करें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यदि इंसान अपने आस-पास साफ सफाई का ध्यान रखे एवम् संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आए और समय-समय पर नियमित रूप से हाथ धोए तो इस कोरोना वायरस से बचा जा सकता है।
मास्क का प्रयोग करें -कोरोना वायरस छींक के ज़रिए 6-8 मीटर से भी ज़्यादा दूरी तक जा सकता है । हमें मास्क पहनने की ज़रूरत है । विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बात पर भी ज़ोर देता है कि मास्क पहनने का फ़ायदा तभी होगा जब इन्हें थोड़े समय में बदला जाए, ठीक से डिस्पोज़ किया जाए और बार-बार हाथ धोया जाए ।
कई देश लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने और एक-दूसरे से कम से कम दो मीटर की दूरी बनाए रखने को कह रहे हैं । ये सलाह उन साक्ष्यों पर आधारित है जिनमें पाया गया है कि कोरोना वायरस नाक और मुंह के ज़रिए बाहर आने वाली बूंदों के ज़रिए फैलता है ।
ऐसा माना जाता है कि संक्रमित व्यक्ति के नाक और मुंह से निकलने वाली ज़्यादातर बूंदें या तो वाष्प बनकर उड़ जाती हैं या ज़मीन पर गिर जाती हैं।
एसिम्प्टोमैटिक कोरोना वायरस: एसिम्प्टोमैटिक यानी बिना लक्षण वाले मरीजों का मिलना
बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज। ये वो मरीज हैं जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं होता फिर भी ये कोरोना पॉजिटिव होते हैं।
अफवाहों पर बिलकुल भी विश्वास न करें
लॉकडाउन के बीच सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ गया है। अफवाहों पर विश्वास बिलकुल न करें और कुछ भी सही मानकर बिना डॉक्टरी सलाह के उसका पालन न करें। देखा गया है कि कुछ लोगों ने वायरस से बचाव के लिए तरह-तरह के तेल को शरीर पर लगा रहे हैं। ऐसा न करें इससे वायरस से बचाव संभव नहीं है।
कोई कह रहा है कि लहसुन खाने से यह वायरस नहीं फैलेगा तो किसी के मुताबिक गौमूत्र में इसका इलाज छुपा है। ऐसी ही बहुत-सी अफवाहें तेज़ी से लोगों के बीच फैल रही हैं।खाने-पीने वाली पोस्ट को सही मानकर घर पर कोई सामग्री खुद से तैयार न करें। इससे नुकसान हो सकता है।